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Prem वो है,परन्तु नहीं है!

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Description

Prem वो है,परन्तु नहीं है!
प्रेम

साथ रहता है वो हरपल, हरदम,
उठती-गिरती सासों की तरह,
मेरे दिल की आवाज बनकर,
मेरी हथेली की लकीरों की तरह,
जो कभी मिट नहीें सकती,

उन पुरानी तस्वीरों की तरह,
जो एल्बम में मौजूद हैं आज भी,
बयां करती है, सारी वेदना,
और छा जाती है,
मेरे मानस पटल पर,
याद बनकर।

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