Description
भूमिका
फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्वीटर, इंस्टाग्राम तथा यू-ट्यूब जैसे सामाजिक संचार माध्यम सोशल मीडिया) लोगों के आपस में जुड़ने, विचारों को अभिव्यक्त करने और वैचारिक आधार पर संगठितहोने का व्यापक और सशक्त माध्यम है । समाचार-पत्र आदि प्रिंट मीडिया तथा टेलीविजन जैसे नियन्त्रित संचार माध्यमों की तुलना में सोशल मीडिया उन लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम बना हुआ है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों के वाहक हैं। परन्तु सरकारें उनको सरकार विरोधी, देशद्रोही आदि कह कर उन पर पाबंदियां लगाने का प्रतिगामी उपाय करती हैं तथा विभिन्न तरह के कानून बनाकर बहुसंख्यक जनता को राजनीतिक अपराधी घोषित करती है। लेकिन अन्य प्रकार के सामाजिक और आर्थिक अपराध करने की खुली छूट दे देती है, जिन्हें सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर अपराध घोषित किया हुआ है। एक्स्टोर्शन, सेक्स्टोर्शन, हनीट्रेप, ब्लैकमेलिंग जैसी कई तरह की गतिविधियां इन सोशल मीडिया पर की जा रही है। पूंजीवादी सरकारें भी इन्हें बढ़ावा देकर युवा वर्ग को मानसिक रूप से भ्रष्ट करने की कोशिशों में लगी हैं।
यदि सरकारें लोगों की विचार अभिव्यक्ति का आदर करे तो देश की जनता और युवा वर्ग स्वयं ही नई व्यवस्था के निर्माण के लिए संगठित हो सकता है तथा नये सामाजिक संबंधों की नीवं रख सकता है।
“सोशल मीडिया के रिश्ते” हर एक व्यक्ति को किसी न किसी वैचारिक चौराहे पर खड़ा पाता है, एक राही रास्ते को चुनने के लिए; तथा हर एक चौराहे पर कई चेहरे मिलते हैं, जो किसी इच्छित रास्ते पर जाने को तैयार हैं, पर किसी के साथ की खोज में, किसी तरह के मंच की खोज में खड़ा है। बरा किसी के साथ, किसी संगठन से जुड़ने की लालसा में हरेक चेहरा भटकता हुआ मिलता है ।
इसी विचार से प्रेरित होकर यह उपन्यास लिखा गया है । आशा है, यह उपन्यास ‘सोशल मीडिया के रिश्ते” पाठकों को पसंद आयेगा और मेरा यह प्रयास सफल साबित होगा ।
इसके लेखन में मेरे फेसबुक मित्रों के अनुभव तथा उनसे लिए गए सहयोग के लिए मैं उनको ही यह उपन्यास समर्पित करता हूँ ।
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