Description
कभी-कभी,,, अजनबी एहसास औऱ बदलाव,,, आपको बदल देता है कुछ ऐसा होता है जो बेवजह हों जाता है ,,, शब्दों की कमी पड़ने लगती हैं,,, कुछ नया सा कुछ प्यारा सा एहसास रोज़ धीरे धीरे बस बढ़ता है,,,, कुछ ऐसा होता है की इंतजार से भी प्यार होने लगता है,,, उसको समझना उसके बारे में सोचना बस अधिकार लगता है,,, उस से उम्मीद नहीं किसी बात की बस उसके प्यार में ख़ुद को भूलने का मन करता है। उस प्यार आत्मा से हो गया है,,, पर शायद ये जुबान में इतनी ताकत नहीं की बया कर पाए उसके ख्यालों में ख़ुद को उसके साथ पाती हूँ,,,, स्याही भी आजकल उसके नाम ही करती जाती हू, मैं मोहब्बत में अंधेरे को और समाज की सच्चाई को भी नहीं देख पाती,,,, उसके स्पर्श मात्र से ही मैं,, किसी और दुनिया में चली जाती हूँ अपनी आखों पर अपना हक खो देना जैसे मेरी ही मर्जी हों,,,, इतना महफ़ूज़ उसके होने से की सारी परेशानी से दूर एक सुकून मिलता है,,, उसके साथ कुछ पल मुझे प्यार पर औऱ भी भरोसा दिलाता है,,,, हा मैं बदल रहीं हुँ पर मुझे ये बदलाव गलत नहीं लग रहा,,, हाँ मैं किसी की होकर भी उसकी नहीं पर मेरी मोहब्बत औऱ मेरे ज़ज्बात कभी अधूरे नहीं,,,
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